क्रिसमस का नाम सुनते ही आपके मन में भी लाल-सफेद कपड़े पहने, लम्बे बाल और बड़ी दाढ़ी वाला एक शख़्स ज़रूर आता होगा, जिसने अपने कंधे पर गिफ्ट्स से भरा बड़ा सा थैला लटकाया हुआ है।
सांता क्लॉज नाम का यह शख़्स पूरी दुनिया भर में बच्चों का पसंदीदा बन चुका है। हो भी क्यों न, सांता क्लॉज ही तो सारे बच्चों की विश पूरी करते हैं और उन्हें उनके पसंदीदा गिफ्ट्स और खिलौने देते हैं। इसके लिए बच्चे साल भर क्रिसमस का इंतज़ार करते हैं।
2023 में कैसे मनाएं क्रिसमस
Christmas Celebration 2023: हर साल 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के रूप में क्रिसमस पूरे हर्षोल्लास के साथ दुनिया भर में मनाया जाता है।
इस बार 2023 को 25 दिसंबर यानी क्रिसमस सोमवार के दिन पड़ रहा है। वैसे ईसाइयों के पवित्र ग्रंथ बाइबिल में प्रभु यीशु के जन्मदिन का कोई उल्लेख नहीं है। रोमन बिशप ने सबसे पहले 137 ई. में क्रिसमस को मनाने की बात कही थी।
लेकिन उस समय कोई तारीख निश्चित नहीं की गई थी। इसके बाद 350 ई. में रोमन पादरी यूलियस ने 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में आधिकारिक तौर पर घोषित किया। इस दिन खास तौर पर ईसाई धर्म के लोग अपने घर को क्रिसमस ट्री और विभिन्न प्रकार के बल्बों से सजाते हैं। चर्च में इकट्ठा होकर विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं।
केक का क्रिसमस पर विशेष महत्त्व है। अलग-अलग जगह अलग-अलग प्रथाएं प्रचलित हैं, लेकिन जो बात हर जगह कॉमन है, वह है- क्रिसमस ट्री, केक और सांता क्लॉज।
ईसाई समुदाय के लोग खासतौर पर बच्चे क्रिसमस को लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं।
आइये जानिए कौन हैं सांता क्लॉज?
सांता क्लॉज का असली नाम संत निकोलस था। इनका जन्म चौथी शताब्दी में तुर्की के मायरा नामक जगह पर हुआ था। बचपन में ही अपने माता-पिता को खो चुके सांता ने अपना पूरा ध्यान ईसा मसीह में लगा दिया था। बाद में आगे चलकर ये चर्च में पादरी और फिर बिशप बने। सांता को ज़रूरतमंद लोगों और बच्चों की मदद करना बेहद पसंद था।
इन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। माना जाता है कि संता रेन्डियर पर सवार होकर आते हैं और बच्चों के लिए उनके पसंदीदा गिफ्ट रखकर चले जाते हैं।
आजकल आप देखेंगे तो पाएंगे कि क्रिसमस के दिन बहुत सारे व्यक्ति सांता क्लॉज की वेशभूषा में नज़र आते हैं। बहुत से लोग अपने बच्चों को भी सांता क्लॉज की वेशभूषा में सजाते हैं।
घर के बाहर जुराबे टांगने के पीछे की कहानी
संत निकोलस के करुणा की एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें इन्होंने एक गरीब व्यक्ति की मदद की।
दरअसल वह व्यक्ति गरीबी से इतना लाचार था कि अपनी तीन बेटियां को देह व्यापार के दलदल में झोंक रहा था। ऐसे में सांता क्लॉज ने चुपके से उनकी जुराबों में सोने के सिक्के रख दिए।
इस प्रकार सांता क्लॉज ने एक परिवार को गरीबी और लाचारी से मुक्ति दिलाई। इसके बाद से ही क्रिसमस पर घर के बाहर अपनी जुराबे टांगने का रिवाज बन गया था कि सांता क्लॉज उसमें गिफ्ट रख सकें। चुपके से गिफ्ट देने या मदद करने के पीछे सांता की यह सोच थी कि उन्हें मदद करते कोई देख न सके।
साल भर कहां रहते हैं सांता क्लॉज?
दुनिया भर में यह मान्यता है कि सांता क्लॉज उत्तरी ध्रुव में अपनी पत्नी और अपने कुछ बौने दोस्तों के साथ रहते हैं। जहां पर एक फैक्ट्री होती है और ये सभी मिलकर साल भर बच्चों के लिए गिफ्ट और खिलौने बनाते हैं, जिन्हें वह क्रिसमस के मौके पर बाँटते हैं।
दुनिया भर में सांता क्लॉज के बहुत सारे पते मौजूद हैं, लेकिन इनमें फिनलैंड वाला पता सबसे ज्यादा मशहूर है। बच्चे अपने सांता क्लॉज को चिट्टियां भी लिखते हैं और माना जाता है कि इन चिट्ठियों का जवाब भी समय-समय पर आता है।
आधी रात को गिफ्ट देने का राज़
सांता क्लॉज ‘नेकी कर दरिया में डाल’ का जीता जागता उदाहरण हैं। आधी रात को गिफ्ट देने की शुरुआत कब हुई, जब इन्होंने उसे गरीब व्यक्ति की मदद की। सांता नहीं चाहते थे कि वो उनका महिमामंडन किया जाए और जिसकी मदद करें वह कृतज्ञता से भर जाए।
इसलिए वह चुपके से आधी रात को जब सब सो रहे हों तब उनकी मदद किया करते। यह परंपरा आज भी चल रही है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर बच्चों को जल्दी सुला दिया जाता है ताकि रात में सांता उनके लिए उनका पसंदीदा उपहार छोड़ जाएं, जो सुबह बच्चों को सरप्राइज कर दे
दुनिया भर में मशहूर सांता क्लॉज के वर्तमान स्वरूप की कल्पना सबसे पहले 1823 में क्लेमेंट मार्क मूर ने ‘ए विजिट फ्रॉम सेंट निकोलस’ शीर्षक से एक कविता में की थी। इसके आधार पर सनब्लोक ने उनकी छवि गढ़ी। इसके बाद 1930 में कोका-कोला कंपनी ने अपने एक विज्ञापन में लाल कपड़े पर पहने सफेद दाढ़ी वाले शख़्स को दिखाया।
इसके बाद सांता क्लॉज का यह स्वरूप दुनिया भर में लोकप्रिय प्रतीक बन गया, जो आज भी लगातार जारी है। इस प्रकार क्रिसमस और सांता क्लॉज एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। बिना सांता क्लॉज के क्रिसमस के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।
हम सब भी इस परम्परा को आगे बढ़ा सकते है।
अगर हम सब भीं एक दूसरे की मदद करे तो। जरुरी नहीं है की हम क्रिसमस के दिन ही एक दूसरे की मदद करे हमें कभी भी मौका मिले हमे तुरंत मदद करनी चाहिये।
क्या आप इस बार सांता क्लॉज बनाना चाहेंगे?