आज का युग टेक्नोलॉजी का युग है। पढ़ाई-लिखाई, खेल, मनोरंजन, शॉपिंग, ट्रैवल, मनी ट्रांसफर यहां तक कि घरेलू उपकरण जैसे- एसी, टीवी, लाइट इत्यादि को कंट्रोल करने के लिए भी एआई के माध्यम से हम टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गए हैं।
बिना गैजेट्स के जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल हो रहा है। मोबाइल फोन के बिना तो लोगों जरा सी देर भी मन नहीं लगता। लेकिन, जैसे कि हर चीज के साइड इफेक्ट्स होते हैं। अत्यधिक डिजिटलाइजेशन के भी बहुत सारे नुकसान सामने आ रहे हैं। यह काम और सेहत पर तो बुरा असर डाल ही रहा है, साथ ही इसका असर रिश्तों पर भी नकारात्मक रूप से पड़ने लगा है।
कई सारे रिसर्चेज में यह बात सामने आई है कि गैजेट्स का अत्यधिक इस्तेमाल करने की लत खासतौर पर युवाओं को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है। इसलिए आजकल एक टर्म बहुत लोकप्रिय हो रहा है और वह है- डिजिटल डिटॉक्स।
क्या है डिजिटल डिटॉक्स?
डिजिटल डिटॉक्स उस समयावधि को कहते हैं, जिसमें कोई व्यक्ति डिजिटल उपकरणों और टेक्नोलॉजी का उपयोग करना बंद कर देता है। कोई इसे कुछ घंटे के लिए करता है, तो कोई कुछ दिन के लिए। इसके लिए कुछ लोग विपश्यना जैसे शिविरों में लगातार 10 दिनों तक रहकर डिजिटल डिटॉक्स का अभ्यास करते हैं।
डिजिटल डिटॉक्स के बहुत सारे फायदे हैं, जिन्हें हम पांच भागों में बाँटकर आसानी से समझ सकते हैं।
1. मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
अलग-अलग तरह के ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स, वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पर 24 घंटे नई-नई सूचनाओं, न्यूज़ के रूप में हमारे सामने आती रहती हैं। ज़ाहिर सी बात है, नकारात्मक सूचनाएं दिमाग पर ज़्यादा असर डालती हैं। अधिक व्यूज पाने के चक्कर में बहुत सारे लोग घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं।
इन सब का असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। हमारे अचेतन मन में यह सारी चीजें चलती रहती हैं, जो तनाव, चिंता और अवसाद का कारण बनती हैं। डिजिटल डिटॉक्स से हम कुछ समय के लिए इन सब से दूर हो जाते हैं और ख़ुद पर ध्यान दे पाते हैं जिससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य में काफ़ी सुधार आता है।
2. आपकी नींद में सुधार
डिजिटल डिटॉक्स होने से नींद की गुणवत्ता में भी सुधार आता है। सबसे पहले तो मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होने से नींद अपने आप अच्छी आती है। दूसरा कारण, मोबाइल-कंप्यूटर के स्क्रीन से निकलने वाली नीली लाइट आंखों के लिए बेहद नुकसानदेह होती है।
इसके साथ ही यह मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन में भी रूकावट डालती है। यह वही हार्मोन है, जो अच्छी नींद के लिए ज़रूरी होता है। अच्छी नींद आने से व्यक्ति अगले दिन काम करने के लिए ऊर्जा से भरपूर और तरोताजा रहता है। इसलिए डिजिटल डिटॉक्स अच्छी नींद के लिए बेहद कारगर कदम है।
3. एकाग्रता में बढ़ोत्तरी
काम के दौरान मोबाइल या लैपटॉप पर आने वाले ई-मेल्स, सोशल मीडिया और विभिन्न प्रकार के ऐप्स के नोटिफिकेशंस हमारा ध्यान भटकाने में अहम योगदान देते हैं। एक बार जब काम की तारतम्यता टूटती है तो फोकस करने में अतिरिक्त समय जाया होता है।
इसलिए डिजिटल डिटॉक्स आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है और आप कम समय में बेहतर परिणाम दे सकते हैं।
4. रिश्तो में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार
आज सोशल मीडिया पर हजारों फॉलोअर्स या फ्रेंड्स हो सकते हैं। लेकिन जब आपको ज़रूरत होती है, तो अक्सर वही आपके साथ खड़े नज़र आते हैं, जो आपके करीबी दोस्त और परिवार के सदस्य होते हैं।
मोबाइल और कंप्यूटर पर घंटों गुज़ार देने की लत की वजह से लोग अपने पारस्परिक रिश्तों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसलिए जब आप डिजिटल डिटॉक्स करते हैं, तो उस समय में आप अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और करीबियों के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं।
5. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
आज की जीवनशैली पूरी तरह से डिजिटल उपकरणों पर आधारित हो गई है। स्क्रीन टाइम अधिक होने से आंखों को तो नुकसान होता ही है साथ ही गर्दन,सिर, कमर और कंधों पर भी बुरा असर पड़ता है। मोबाइल- कंप्यूटर पर ज़्यादा समय बिताने की वजह से आउटडोर एक्टिविटीज में भी भाग लेना कम हो गया है।
इसका सीधा असर सेहत पर पड़ रहा है, इसके साथ ही टीवी और मोबाइल देखते हुए अक्सर हम खाने की मात्रा पर भी ध्यान नहीं दे पाते। जिसका सीधा असर सेहत पर पड़ता है। डिजिटल डिटॉक्स से यह सारी परेशानियां भी कम हो सकती हैं।
इस प्रकार आपने देखा कि किस तरह से डिजिटल डिटॉक्स आपके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर एकाग्रता बढ़ाता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है। हालांकि डिजिटलाइजेशन के युग में हम पूरी तरह से तो इसे छोड़ नहीं सकते।
लेकिन कुछ घंटों के लिए तो हर दिन डिजिटल डिटॉक्स का अभ्यास किया जा सकता है, या फिर सप्ताह में एक दिन का ही सही इसके लिए समय निकाल सकते हैं।
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