उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से सनातन धर्म के लोगों में आस्था का प्रतीक अयोध्या शहर धार्मिक दृष्टि के साथ ही दर्शन के क्षेत्र में अपने आप में विशेष महत्त्व रखता है।
अयोध्या सरयू नदी के दाहिने किनारे पर स्थित उत्तर प्रदेश के 18 मंडलों में से एक है साथ ही अयोध्या एक जिला भी है।
श्री राम जन्मभूमि की वजह से इसकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ग़ौरतलब है कि 22 जनवरी को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में यहां के निर्माणाधीन राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी संपन्न किया जाना है।
जिसकी वजह से अयोध्या के दर्शनीय क्षेत्र में आश्चर्यजनक उछाल देखने को मिल रहा है। ऐतिहासिक रूप से इसका नाम कोशल देश था जिसकी स्थापना मनु ने की थी। नवाबों के रियासत के दौरान इसका नाम फैज़ाबाद रखा गया था, जिसे 6 नवंबर 2018 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने बदलकर अयोध्या कर दिया।
यही वह पावन भूमि है जहां पर बैठकर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। आज हम यहां पर अयोध्या के कुछ प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिनका दर्शन आपको एक अलग ही दुनिया में पहुंचा देगा।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल श्रीराम जन्मभूमि मंदिर है। मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम ने यहीं जन्म लिया था। यहां पर परंपरागत नागर शैली में भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।
इसी मंदिर के भूतल के गर्भ गृह में 22 जनवरी को भगवान श्री राम के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है। यह मंदिर अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा डिजाइन किया गया है।
सीता रसोई
श्री राम जन्मभूमि मंदिर के उत्तर पश्चिम में स्थित एक मंदिर है जिसे सीता रसोई के नाम से जाना जाता है। सीता जी को अन्नपूर्णा अर्थात अन्न की देवी भी कहा जाता है इसलिए इस मंदिर का प्रतीकात्मक महत्व भी है।
अपनी अनोखी वास्तुकला से पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने वाले इस मंदिर में जानकी जी के साथ भगवान श्रीराम विराजमान हैं ही इनके साथ ही श्री राम के सभी भाई यानी लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न भी अपनी-अपनी पत्नियों के साथ उपस्थित हैं।
राम की पैड़ी
अयोध्या में सरयू नदी किनारे स्थित राम की पैड़ी घाटों की एक श्रृंखला है। यहां पर दीपावली पर लाखों की संख्या में दीपक जलाए जाते हैं। हाल ही में 2023 में यहां 22 लाख से अधिक दिये जलाकर गिनीज बुक के विश्व रिकॉर्ड मैं भी इसका नाम दर्ज हो गया है।
माना जाता है कि यहां पर स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। पूर्णिमा के अवसर पर यहां की सुंदरता भी बढ़ जाती है।
नागेश्वरनाथ मंदिर
राम की पैड़ी के पास स्थित इस मंदिर के पीछे एक दिलचस्प कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश एक बार सरयू नदी में स्नान कर रहे थे जहां उनके बाजूबंद खो जाता है जिसे वापस करने के लिए एक नागकन्या आती है और वह कुश पर मोहित हो जाती है।
वह नागकन्या भगवान शिव की परम भक्त थी जिसकी स्मृति में यहां पर कुछ के द्वारा नागेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना की गई। यहां पर महाशिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है एवं भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
हनुमानगढ़ी
जहां पर भगवान श्री राम रहेंगे वहां पर उनके परम भक्त हनुमान जी तो होंगे ही। अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास बजरंगबली को समर्पित 10वीं शताब्दी का यह हिन्दू मन्दिर स्थापित है। इसका निर्माण विक्रमादित्य ने करवाया था। यहां पर माता अंजनी की गोद में बैठे हनुमान जी की प्रतिमा स्थित है।
हनुमानगढ़ी मंदिर तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह मंदिर रामानंदी संप्रदाय के बैरागी महंतों और निर्वाणी अनी अखाड़े के अधीन है। कहा जाता है कि अपने आराध्य प्रभु श्री राम की रक्षा हेतु हनुमान जी यहां पर विराजमान हैं।
कनक भवन
माता कैकेयी द्वारा श्री राम और सीता जी के विवाह के पश्चात मुंह दिखाई में उपहार स्वरूप दिया गया था। अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध यह सुनहला भवन सीता जी को समर्पित है। सीता जी यहां पर प्रभु श्री राम के साथ विराजमान हैं।
मध्य काल में विक्रमादित्य ने कनक भवन का जीर्णोद्धार करवाया था, बाद में इसे ओरछा की रानी वृषभानु कुमारी द्वारा पुनर्निर्मित किया गया । इस मंदिर का खास आकर्षण इस पर की गई सुन्दर नक्काशी है। इसलिए यह पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केंद्र है।
त्रेता के ठाकुर
मान्यता है कि भगवान श्री राम ने इसी स्थान पर अश्वमेध यज्ञ संपन्न किया था। इसलिए इस पवित्र स्थान पर मंदिर निर्माण किया गया। यहां पर भगवान राम अपने भाइयों लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न एवं सीता के साथ विराजमान हैं। सभी मूर्तियां काले बलुआ पत्थर से सुंदर नक्काशी के साथ बनाई गई हैं।
अगर आप यहां घूमने जा रहे हैं तो एक बात ध्यान में रखें किया मंदिर कार्तिक महीने में एकादशी के दिन ही खुलता है। इस दिन यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
गुलाब बाड़ी
अवध के नवाब शुजाउद्दौला के मकबरे में स्थित गुलाब बाड़ी विभिन्न प्रकार के गुलाब की प्रजातियों के लिए लोकप्रिय है। यहां पर विभिन्न रंगों और प्रजातियों के गुलाब एक साथ मौजूद हैं। गुलाब का यह सुंदर बाग और बीच में लगे मनमोहक फव्वारों की ख़ूबसूरती आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।
ग़ौरतलब है कि नवाब शुजाउदौला ने अपने जिंदा रहते अपना ख़ुद का मकबरा भी इसी इमारत में बनवाया था। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा विशेष रूप से संरक्षित यह देश का अकेला ऐसा मकबरा है, जहां पर भारत सरकार ने अशोक स्तंभ लगवाया था।
बहू बेगम का मकबरा
पूर्व का ताजमहल कहा जाने वाला यह खूबसूरत मकबरा अवध के नवाब शुजाउद्दौला की बीवी अल्मतुजोहरा बानो की याद में बनवाया गया था। अयोध्या में सबसे ऊंचाई पर स्थित यह मकबरा अपनी वास्तुकला के लिए बेहद प्रसिद्ध है।
यह परिसर अब भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है और शिया बोर्ड समिति द्वारा इसका प्रबंधन देखा जाता है। ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से यहां से अयोध्या शहर की सुंदरता देखते ही बनती है।
जैन श्वेतांबर मंदिर
जैन धर्म के पांच तीर्थंकरों, आदिनाथ/ऋषभदेव, अजित नाथ, अभिनंद नाथ, सुमति नाथ, एवं अनंतनाथ की जन्मस्थली अयोध्या में जैन धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल जैन श्वेतांबर मंदिर है। यह मंदिर मुख्य रूप से जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है, परंतु यहां पांचों तीर्थंकरों के लिए पांच अलग-अलग मंदिरों का निर्माण किया गया है। यहां पर जैन तीर्थंकर ऋषभ देव की 31 फीट ऊंची प्रतिमा अवस्थित है।
इस तरह सरयू नदी किनारे बसा अयोध्या शहर दर्शन की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। सभी प्रमुख धर्मों के मतावलंबियों के लिए अयोध्या में कुछ न कुछ ख़ास आकर्षण मौजूद है।
इसके अलावा सरयू नदी, घाट और प्राकृतिक सुंदरता अयोध्या के सांस्कृतिक धरोहर में चार चांद लगा देते हैं। देश की प्रमुख ट्रैवल वेबसाइट्स में से एक मेकमाइट्रिप के अनुसार पिछले दो सालों में अयोध्या जाने वालों की संख्या में 97 फ़ीसदी तक की बढ़ोत्तरी देखी गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल ढाई करोड़ से ज्यादा लोगों ने अयोध्या में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई। इस से आप अयोध्या के प्रति लोगो के मन में प्यार और विश्वास की भावना के बारे में ख़ुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं।
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